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]]>चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा, ‘हम संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से बंधे हैं. राज्य को भी इसका पालन करना होगा. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ क्लास एक से पांच तक की शिक्षक नियुक्ति के संबंध में स्पष्ट फैसला सुना चुकी है. ऐसे में बीएड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है.
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याचिकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे वकील दीनू ने बताया कि कोर्ट ने आदेश में कहा है कि सरकार ने छठे चरण में क्लास एक से पांच तक के शिक्षकों की नियुक्ति में बीएड पास उम्मीदवारों की जो नियुक्ति की है, उसे रद्द करना होगा. उन नियुक्तियों को फिर से भरना होगा. फैसले में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार को एनसीटीई की साल 2010 की मूल अधिसूचना के अनुसार योग्य उम्मीदवारों को ही नियुक्त करना होगा. राज्य सरकार ये भी निर्णय लेगी कि कितने पद रिक्त हो रहे हैं और उन पदों पर रिक्तियों को कैसे भरा जाना है.
दरअसल, बिहार में छठे चरण की शिक्षक नियुक्ति (Bihar Teacher News) 2021 में गई थी. नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत बेस पर ये नियुक्ति की गई थीं. इस दौरान कई लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बीएड पास अभ्यर्थियों को प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक के पद पर नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की थी. हालांकि राज्य सरकार ने एनसीटीई की 2018 की एक अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा था कि एनसीटीई ने बीएड पास अभ्यर्थियों को क्लास एक से पांच तक के शिक्षक पद पर नियुक्ति की मंजूरी दे दी है. तब 2021 में हाईकोर्ट की बेंच ने राज्य सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने की इजाजत दे दी थी, लेकिन मामले की सुनवाई कोर्ट में चलती रही. बुधवार को मामले पर हाईकोर्ट का यह फैसला आया है.
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने 28 जून, 2018 में एक गजट (नोटिफिकेशन) जारी किया था. इसमें बीएड उम्मीदवारों को प्राइमरी एजुकेशन (कक्षा 1 से 5 तक) पढ़ाने के लिए योग्य करार दिया था. लेकिन राजस्थान सरकार ने इस नोटिस के खिलाफ केवल D.El.Ed या BTC वालों को भर्ती के लिए योग्य माना.
इसके खिलाफ B.Ed. के अभ्यर्थियों ने राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की. उनका कहना था कि अन्य राज्य NCTE के नॉर्म्स को तहत B.Ed. के अभ्यर्थियों को प्राइमरी शिक्षक के पदों पर बहाली दे रहे हैं, लेकिन राजस्थान सरकार उन्हें नौकरी नहीं दे रही. हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद 25 नवंबर, 2021 को NCTE के नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया और BTC और D.El.ED अभ्यर्थियों के हक में फैसला सुनाया था.
इसके बाद राजस्थान के B.Ed. अभ्यार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी. 11 अगस्त, 2023 सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने भी साल 2018 के NCTE नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया. कोर्ट का कहना था कि B.Ed. धारकों में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए जरूरी स्किल्स और अप्रोच नहीं है. फिर सभी स्टेट में यह आदेश लागू हो गया.
पटना हाईकोर्ट के एडवोकेट अरुण कुमार पांडे के बताया कि पटना उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फैसला दिया है. ऐसे में नियोजित शिक्षक और बिहार सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता नहीं दिख रहा. बिहार सरकार के पास एक रास्ता है. इन शिक्षकों के समायोजन का. उच्च माध्यमिक विद्यालय में समायोजन का रास्ता बचता है, क्योंकि राज्य सरकार ने शिक्षक बहाली की है.
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]]>पिछली बार 13 अक्टूबर को अभ्यर्थियों की रिट याचिका पर जस्टिस एएस बोपन्ना और एम सुंदरेश की बेंच में सुनवाई हुई थी. बीएड अभ्यर्थियों का पक्ष रख रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण और निशा तिवारी ने कोर्ट को बताया था कि कोर्ट के इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में भी पहले से चल रही बहाली प्रक्रिया में प्राथमिक शिक्षकों की बहाली में बीएड अभ्यर्थियों को शामिल किया गया था.
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इसी तरह बिहार में भी शिक्षक बहाली (Bihar Teacher News) की प्रक्रिया फैसला आने के पहले से चल रही है. इसलिए इन्हें भी शामिल किया जाए. छत्तीसगढ़ वाले मामले के जजमेंट की कॉपी भी कोर्ट में पेश की गई. बेंच ने पूरी दलील सुनने के बाद केस को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया था. अब इस मामले में आज सुनवाई होनी है.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा था कि इस मामले की सुनवाई उसी बेंच में होनी चाहिए, जहां बीएड कैंडिडेट को लेकर आदेश आया था. जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने ही राजस्थान मामले पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया था कि डीएलएड पास अभ्यर्थी ही क्लास 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने के योग्य होंगे.
रिट याचिका दायर करने वाले मुख्य याचिकाकर्ता दीपांकर गौरव और मीकू पाल की दलील है कि बिहार लोक सेवा आयोग के नोटिफिकेशन की शर्तों के अनुसार ही बीएड अभ्यर्थियों ने शिक्षक बनने के लिए आवदेन किया था. लेकिन अब उनका रिजल्ट जारी नहीं किया गया है.
3 लाख 90 हजार अभ्यर्थियों का रिजल्ट पेंडिंग है. बीपीएससी ने सिर्फ डीएलएड पास उम्मीदवारों का रिजल्ट जारी करने का निर्णय लिया है. बिहार में 1 लाख 70 हजार 461 शिक्षकों की नियुक्ति होनी है, इसमें करीब 80 हजार प्राइमरी स्कूल के टीचर हैं. प्राथमिक विद्यालय के 72,419 अभ्यर्थी शामिल हैं. अब 2 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में सीएम नीतीश कुमार बीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल हुए 25,000 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देंगे.
क्लास 1 से 5 तक के शिक्षकों की नियुक्ति में बीएड अभ्यर्थियों को शामिल किए जाने को लेकर सरकार ने 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी. इस मामले में 9 अक्टूबर को जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच में सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने बिहार सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया था. मामला दूसरी बेंच में ट्रांसफर कर दिया गया.
याचिकाकर्ता दीपांकरऔर मीकू पाल ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि एनसीटीई के जिस गजट को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त किया है. उसी गजट से पूरे देश मे लाखों बीएड अभ्यर्थी प्राइमरी स्कूल में बहाल हुए हैं. बिहार में भी छठे चरण में बीएड पास शिक्षक बने हैं.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केंद्रीय केंद्रीय विद्यालय में भी प्राथमिक में बीएड योग्यताधारी बहाल हुए हैं. संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार समानता का अधिकार की मांग करते हुए बिहार में भी चल रहे शिक्षक बहाली में बीएड को शामिल करने का निवेदन याचिकर्ताओं ने किया है.
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